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Sadness Shayari In Hindi
लिखते लिखते… आज हाथ रुक से गए
कुछ लम्हें याद आये कुछ भूल से गए
जो साथ ना होकर भी साथ थे हमारे
ऐ जान तुम कहाँ खो से गए
रिस्तो से ज्यादा वक़्त हम अब अपने फ़ोन को देते है
भूल जाते वो खुशियाँ जो उनके साथ नहीं रहने देती
दुसरो तक़लीफो का मजाक बना लेते है
और अपनी तक़लीफो का स्टेटस बना लेते है
क्यों आए मेरी जिंदगी में गर जाना ही था,
क्यों हँसाया मुझे गर रूलाना ही था,
क्या मैंने कहा था के मुझे तुम्हारी जरूरत है
आओ पास मेरे,
क्यों पास आए गर दूरियों को बढ़ाना ही था..
जिंदगी में कभी ऐसा मोड़ आएगा सोचा ना था
,जिसके लिए जीती हूँ वो छोड़ जाएगा सोचा ना था,
सच्ची मोहब्बत की थी मैंने कोई खिलवाड़ नहीं था,
बदले में वो रिश्ता तोड़ जाएगा सोचा ना था…
आग दिल में लगी जब वो खफ़ा हुए,
महसूस हुआ तब, जब वो जुदा हुए,
करके वफ़ा कुछ दे ना सके वो,
पर बहुत कुछ दे गए जब वो बेवफ़ा हुए!
मेरे खवाबो मे आना आपका कसूर था,
आपसे दिल लगाना हमारा कसूर था,
आप आए थे जिन्दगी मे पल दो पल के लिए,
आपको जिन्दगी समझ लेना हमारा कसूर था..
भुला के मुझको अगर तुम भी हो सलामत,
तो भुला के तुझको संभलना मुझे भी आता है,
नहीं है मेरी फितरत में ये आदत वरना,
तेरी तरह बदलना मुझे भी आता है..
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कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी,
कभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयी,
बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने,
आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी..
आग दिल मे लगी जब वो खफा हुए,
महसूस हुआ तब, जब वो जुदा हुए,
कर के वफ़ा कुछ दे ना सके वो ,
पर बहुत कुछ दे गये जब वो बेवफा हुए..
Very Heart Touching Sad Shayari
गम इस कदर बरस पड़े,
सावन भी शर्मसार हो इस हिज्र में दो आंखों से,
कुदरत की तकरार हो हर सिलसिला रूका रहे,
हर जलजला थमा रहे ठहरी-अंधेरी रात में खामोशी की झनकार
हो कोई रास्ता नहीं मिला खूने-जिगर को तब मुझे ऐसा लगा
कि जख्म भी खंजर से धारदार हो मेरा दर्द मसला फूल है,
मेरी आह टूटा राग है
मेरी मौत का शायद तुम्हें, मुद्दत से इंतजार हो
हम भी वही होते हैं… रिश्ते भी वही होते हैं…
और रास्ते भी वही होते हैं…!
बदलता है तो बस… समय,
एहसास और… नज़रिया…
उलझी ज़िन्दगी को सुलझाते सुलझाते,
ज़िन्दगी जीने के बहाने बदल गये है…
कौन हैं जो बचाने, गहराई में आया हैं
क्या जाने कि मजा तो तबाही में आया हैं।
मिलेगी यूँ मोहब्बत, तो बेकार हो जाएँगे
ये शायरी का फन, तो तनहाई में आया हैं।
सैलाब काबू करने का तरीका भी अनोखा हैं
कोई धूप का मौसम, जैसे जुलाई में आया हैं।
आँखो में सवाल लिए फिरता हैं खामोशी के बेखबर हैं,
की जवाब तो रुबाई में आया हैं।
सहम उठते हैं कच्चे मकान,
पानी के खौफ़ से महलों की आरज़ू ये है की,
बरसात तेज हो
शामिल हूँ खेल में तेरी तफ़रीह के लिए बाज़ी तो कितनी देर से हारा हुआ हूँ मैं ।।
कभी कोई तुमसे, गिला न करेंगे अगर चाहता है, मिला न करेंगे तुम्हारी ख़ुशी में,
हमारी ख़ुशी है तुमहें देखकर अब, खिला न करेंगे ।।।
न जाने कब फिर से ये मंज़र सुहाना मिलेगा;
ये खिल-खिलाती हँसी और दोस्तों का याराना मिलेगा;
क़ैद कर लो इन खूबसूरत लम्हों को अपनी यादों में यारो;
इन्ही लम्हों से हमें ज़िंदगी में रोते हुए भी हँसने का बहाना मिलेगा।
ज़िन्दगी तेरे गम ने हमें रिश्ते नए समझाए
मिले जो हमें धूप में मिले छाँव के ठन्डे साये..!
Painful Sadness Shayari
मुस्कराहट वो हीरा है जिसे आप बिना खरीदे पहन सकते हो
और जब तक यह हीरा आपके पास है
आपको सुंदर दिखने के लिये
किसी और चीज की जरुरत नहीं है…
वक्त की एक आदत बहुत अच्छी है
जैसा भी हो गुजर जाता है
कामयाब इंसान खुश रहे ना रहे खुश रहने वाला इंसान
कामयाब जरूर हो जाता है…
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- Dukh Bhari Shayari
- दर्द में मुस्कराने शायरी
- Sadness Status OF Love
तुम बैठे हो मगर जाते देख रहा हूँ,
मैं तन्हाई के दिन आते देख रहा हूँ,
आने वाले लम्हों से दिल सहमा है,
तुमको भी डरते घबराते देख रहा हूँ|
हर वक़्त तेरे आने की आस रहती है!
हर पल तुझसे मिलने की प्यास रहती है!
सब कुछ है यहाँ बस तू नही!
इसलिए शायद ये जिंदगी उदास रहती है!
जाती नहीं आँखों से सूरत तेरी;
ना जाती है दिल से मोहब्बत तेरी;
तेरे जाने के बाद किया है यह महसूस हमने;
और भी ज्यादा है हमें ज़रूरत तेरी।
आहिस्ता बोलने का उसका अंदाज़ भी कमाल था ,,
कानों ने कुछ सुना नहीं, पर दिल सब समझ गया !
कहती है दुनिया जिसे प्यार, नशा है ,
खताह है! हमने भी किया है प्यार ,
इसलिए हमे भी पता है! मिलती है थोड़ी खुशियाँ ज्यादा गम!
पर इसमें ठोकर खाने का भी कुछ अलग ही मज़ा है!
गम ने हसने न दिया, ज़माने ने रोने न दिया!
इस उलझन ने चैन से जीने न दिया!
थक के जब सितारों से पनाह ली!
नींद आई तो तेरी याद ने सोने न दिया!
मुहब्बत का इम्तिहान आसान नहीं!
प्यार सिर्फ पाने का नाम नहीं! मुद्दतें बीत जाती हैं
किसी के इंतज़ार में! ये सिर्फ पल-दो-पल का काम नहीं!
कलम चलती है तो दिल की आवाज लिखता हूँ;
गम और जुदाई के अंदाज़-ए-बयां लिखता हूँ;
रुकते नहीं हैं मेरी आँखों से आंसू;
मैं जब भी उसकी याद में अल्फाज़ लिखता हूँ।
मैं तेरे प्यार में इतना ग़ुम होने लगा हूँ;
जहाँ भी जाऊं बस तुम्हें ही सामने पाने लगा हूँ;
हालात यह हैं कि हर चेहरे में तू ही तू दिखता है;
ऐ मेरे खुदा अब तो मैं खुद को भी भुलाने लगा हूँ।
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कब तक वो मेरा होने से इंकार करेगा;
खुद टूट कर वो एक दिन मुझसे प्यार करेगा;
इश्क़ की आग में उसको इतना जला देंगे;
कि इज़हार वो मुझसे सर-ए-बाजार करेगा।
अपने घर की खिड़की से मैं आसमान को देखूँगा;
जिस पर तेरा नाम लिखा है उस तारे को ढूँढूँगा;
तुम भी हर शब दिया जला कर पलकों की दहलीज़ पर रखना;
मैं भी रोज़ एक ख़्वाब तुम्हारे शहर की जानिब भेजूँगा।
मुझे भी अब नींद की तलब नहीं रही;
अब रातों को जागना अच्छा लगता है;
मुझे नहीं मालूम वो मेरी किस्मत में है या नहीं;
मगर उसे खुदा से माँगना अच्छा लगता है।
सुबह का हर पल ज़िंदगी दे
आपको दिन का हर लम्हा खुशी दे
आपको जहा गम की हवा छू कर भी न गुज़रे
खुदा वो जन्नत से ज़मीन दे आपको
कोशिश आखिरी सांस तक करनी चाहिए… “मंजिल”मिले
या “तजुर्बा” चीजें दोनो ही बहुत नायाब है…
बहुत खूब सूरत है आखै तुम्हारी
इन्हें बना दो किस्मत हमारी
हमें नहीं चाहिये ज़माने की खुशियाँ
अगर मिल जाये मोहब्बत तुम्हारी
ऐ मेरे अच्छे वक्त, तू भी ज़रा धीरे धीरे चल…
हम ने बुरे वक्त को बहुत धीरे से…. गुज़रते देखा है…
कोशिश तो रोज़ करता हूँ कि..
वक़्त से समझौता कर लु………!!
कम्बख़्त दिल के कोने में छुपी
उम्मीद मानती ही नहीं……………!!
मोहब्बत है तुमसे इसलिए नजर अंदाज नहीं किया कभी,
वरना बेरुखी तुमसे कहीं बेहतर जानते हैं हम…..! …..
कब उनकी आँखों से इज़हार होगा,
दिल के किसी कोने में हमारे लिए प्यार होगा,
गुज़र रही हे रात उनकी याद में,
कभी तो उनको भी हमारा इंतज़ार होगा!
कुछ खोये बिना हमने पाया है ,
कुछ मांगे बिना हमें मिला है ,
नाज है हमें , अपनी तक़दीर पर ,
जिसने आप जैसे दोस्त से मिलाया है .
एक वक्त था …जब बातें ही खत्म नही होती थी……!
आज सबकुछ खत्म हो गया मगर ..बात नही होती..!!…
कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी,
कभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयी,
बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने,
आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी !!
तेरी चौखट से सिर उठाऊं तो बेवफा कहना,
तेरे सिवा किसी और को चाहूँ तो बेवफा कहना,
मेरी वफाओं पे शक है तो खंजर उठा लेना,
शौंक से मर ना जाऊं तो बेवफा कहना !!
बिखरे हुए दिल ने भी उसके लिए फरियाद मांगी,
मेरी साँसों ने भी हर पल उसकी ख़ुशी मांगी,
जाने क्या मोहब्बत थी उस बेवफ़ा में,
कि मैंने आखिरी फरियाद में भी उनकी वफ़ा मांगी !!
मज़बूरी में जब कोई जुदा होता है,
ज़रूरी नहीं कि वो बेवफ़ा होता है,
देकर वो आपकी आँखों में आँसू,
अकेले में वो आपसे ज्यादा रोता है !!
“खूदा अपने बन्दे से केहता है”
तू कुछ और चाहता है,
मै कुछ और चाहता हूँ,
होता वही है जो मै चाहता हूँ,
तू वो कर जो मै चाहता हूँ,
फिर वो होगा जो तू चाहता है…!!
मोहब्बत मुझे थी उसी से सनम!
यादों में उसकी यह दिल तड़पता रहा!
मौत भी मेरी चाहत को रोक न सकी!
कब्र में भी यह दिल धड़कता रहा!
कब कौन चला है सफ़र मे दो कदम साथ,
फिर जानकार सब, बनता तेरा दिल अनजाना कैसा,
बनाकर चले हो महल राह-ए सफ़र मे,
पर बिन मोहब्बत का खाली रहा आशियाना कैसा .
कुछ इस तरह से लिक्खा है,
उस ख़ुदा ने मेरा नसीब;
कि मैं तो सबका हो जाऊंगा “दोस्त”,
पर कोई मेरा नहीं होगा !!……
शिकवा नही तुझसे,
मगर शिकायत उस खुदा से जरूर है,
जज्बात क्यों दिये तूने,
जब दुनिया मे मोहब्बत करना ही कसूर है….
डूबे हुओं को हमने बिठाया था,,
अपनी कश्ती में यारो…
और फिर कश्ती का बोझ कहकर,
हमे ही उतारा गया…….!
किसी के दिल को चोट पहुचाकर माफ़ी मांगना बहुत ही आसान है; …
लेकिन खुद चोट खाकर दूसरों को माफ़ करना बहुत मुशकिल है!
तेरी आवाज़ तेरे रूप की पहचान है;
तेरे दिल की धड़कन में दिल की जान है;
ना सुनूं जिस दिन तेरी बातें;
लगता है उस रोज़ ये जिस्म बेजान है।
यूँ तो तमन्नाएं दिल में ना थी हमें लेकिन;
ना जाने तुझे देखकर क्यों आशिक़ बन बैठे;
बंदगी तो खुदा की भी करते थे लेकिन;
ना जाने क्यों हम काफ़िर बन बैठे।
तेरे प्यार का सिला हर हाल में देंगे;
खुदा भी मांगे ये दिल तो टाल देंगे;
अगर दिल ने कहा तुम बेवफ़ा हो;
तो इस दिल को भी सीने से निकाल देंगे।
तुम बिन ज़िंदगी सूनी सी लगती है;
हर पल अधूरी सी लगती है;
अब तो इन साँसों को अपनी साँसों से जोड़ दे;
क्योंकि अब यह ज़िंदगी कुछ पल की मेहमान सी लगती है।
तपिश से बच के घटाओं में बैठ जाते हैं;
गए हुए कि सदाओं में बैठ जाते हैं;
हम इर्द-गिर्द के मौसम से घबरायें;
तेरे ख्यालों की छाओं में बैठ जाते हैं।
संगमरमर के महल में तेरी ही तस्वीर सजाऊंगा;
मेरे इस दिल में ऐ प्यार तेरे ही ख्वाब सजाऊंगा;
यूँ एक बार आजमा के देख तेरे दिल में बस जाऊंगा;
मैं तो प्यार का हूँ प्यासा जो तेरे आगोश में मर जाऊॅंगा।
बड़ी हसरत थी कि हमें भी कोई टुट के चाहता..!!
पर हम खुद ही टुट गये किसी को चाहते-चाहते…..
मुद्दत हो गई उसका चेहरा देखे हुए…………
साहेबान…….. पर वो उसका एक मोङ पर
सबसे छुपाकर सलाम करना
आज भी जीने की वजह है मेरी……..
एक समय था जब ” मंत्र ”
काम करते थे… उसके बाद एक समय आया जिसमें ” तंत्र ”
काम करते थे..फिर समय आया जिसमे ” यंत्र ”
काम करते थे और आज के समय में कितने दुःख की बात है
,सिर्फ ” षड्यंत्र ” काम करते है जब तक”सत्य “
घर से बाहर निकलता है..
तब तक” झुठ “आधी दुनिया घूम लेता है!!!
कागज़’के नोटों’ से ‘आखिर’किस-किस को खरीदोगे जनाब
किस्मत परखने’ के लिए आज भी सिक्काहीं उछाला’ जाता है!
नज़र और नसीब के मिलने का इत्तेफ़ाक़ कुछ ऐसा है
कि नज़र को पसंद हमेशा वही चीज़ आती है जो नसीब में नहीं होती है
नसीब जिनके ऊंचे और मस्त होते है,
ज़िन्दगी में इम्तिहान उन्हीं के सख्त होते है!
अभी कहाँ खत्म हुई है मोहब्बत मेरी…
अभी तो उसकी नफरत से भी बेहिसाब मोहब्बत करना बाकी है…
चाहत के ये कैसे अफ़साने हुए;
खुद नज़रों में अपनी बेगाने हुए;
अब दुनिया की नहीं कोई परवाह हमें;
इश्क़ में तेरे इस कदर दीवाने हुए।
फिर से वो सपना सजाने चला हूँ;
उमीदों के सहारे दिल लगाने चला हूँ;
पता है कि अंजाम बुरा ही होगा मेरा;
फिर भी किसी को अपना बनाने चला हूँ।
देख मेरी आँखों में ख्वाब किसके हैं;
दिल में मेरे सुलगते तूफ़ान किसके हैं;
नहीं गुज़रा कोई आज तक इस रास्ते से हो कर;
फिर ये क़दमों के निशान किसके हैं।
बेवजह हम वजह ढूंढ़ते हैं तेरे पास आने को;
ये दिल बेकरार है तुझे धड़कन में बसाने को;
बुझी नहीं प्यास इन होंठों की अभी;
न जाने कब मिलेगा सुकून तेरे इस दीवाने को।
जिनके दिल पे लगती है चोट वो आँखों से नही रोते,
जो अपनो के ना हुए किसी के नही होते,
मेरे हालातों ने मुझे ये सिखाया है
की सपने टूट जाते हैं पर पूरे नही होते…
जिनकी आशिकी सफल हो जाती है..
वो कायर बन जाते हैं….
और जिनकी आशिकी असफल हो जाती है….
वो शायर बन जाते हैं..
ज़माना हो गया देखो मगर चाहत नहीं बदली,,,,,
किसी की ज़िद नहीं बदली,,,,मेरी आदत नहीं बदली,,,,,,
प्यास दरिया की निगाहों से छिपा रखी है
इक बादल से बड़ी आस लगा रखी है
तेरी बातों को छिपाना नहीं आता मुझको
तूने खुश्बू मेरे लहज़े में बसा रखी है
तेरी आँखों की कशिश कैसे तुझे समझाऊं
इन चिरागों ने मेरी नींद उड़ा रखी है
क्यूँ न आ जाए महकने का हुनर लफ़्ज़ों को तेरी
चिटठी जो किताबों में छुपा रक्खी है………..
फिर शाम आज लालिमा लिए आई है ।
न शब ए गम है और न तन्हाई है। है
मिरे आगोश मेँ वो दहकता शोला ,
सीने के अँदर चली ठँडी पुर्वाई है ।
जब तुम्हारी आँखे मुझे देख नही पातीं
मैं तब भी तुम्हारे करीब ही होता हूँ
और जब तुम मुझे देखना नहीं चाहते
तब भी मैं तुम्हारे क़रीब होता हूँ,
तुम्हे देख रहा होता हूँ
वहीं कहीं तुम्हारे पीछे खामोश खड़े।
क्योकि तुमने वादा लिया था
मुझसे तुम्हे अकेला ना छोड़ने का,
वो वादा भी है और मैं छोड पाता भी न हू।
एहकाश के इस शाम को तूँ आ जाए कहीँ से चाँदनी बनकर ,
आज फिर मैँ होउँगा तेरी यादेँ होँगी अँधेरा होगा और तनहाई होगी।
हुस्न आगोश में हो, फिर चाहे हम पागल हो जाए।
मेरे हालात जैसा ही उसका भी हाल हो जाए।
हाथ धो बैठूँ दिलो जाँ की दौलतोँ से अपने,
वो लुटा कर साँसेँ अपनी हम पर कँगाल हो जाए।
अनवरत चलते रहेँ ईम्तिहान प्यार का यूँ ही .
हम जवाब बने रहेँ और वो सवाल हो जाए।
गिरति रहे यूँ ही ये जुल्फेँ चेहरे पर सुशील.
उलझा रहूँ मैँ उसमेँ ये रेशमी सा जाल हो जाए।
जब दिल चाहे हमसे बात कर लेना,
जब दिल चाहे हमसे मुलाक़ात कर लेना;
रहते हैं आपके दिल में हम,
वक़्त मिले तो हमें तलाश कर लेना
शीशा ए दिल के रोज अरमान टूटते हैँ।
हर एक हाथ मेँ यहाँ खँजर लरजते हैँ।
तेरे दीदार की चाह या तेरी जुस्तजू कहेँ,
नौजवाँ सारे तेरी ही गली से गुजरते हैँ।
तेरे हुस्नो सबाब की और क्या मिसाल दूँ,
के आईने भी तुझे पाने को तरसते हैँ।
रमजाने दौर मेँ ये तेरी वेपरवाही जुल्म हैँ,
उठता है नकाब तो,हजारोँ रोजे टूटते हैँ ।
मेरी हयात होना तेरा क्यामत हो गया,
रोज फरिश्ते मेरे छत पर उतरते हैँ ।
तुझे पाकर मालामाल हुआ है__ खूब,
बादशाह भी अब मेरे घर पानी भरते हैँ ।
फासला दरमियाँ का दिल से मिटा कर देखो।
पहली फूर्सत मे किसी रोते को हंसा कर देखो।
मजाल कि खुदा न आए तेरे बुलाने से भला,
खुद को धन्ना जट्ट जैसा तुम बनाकर देखो।
खोई हुई मँजिल हो जाएगी खूद रुबरु तेरे,
हौसलोँ से अपने रास्ता बनाकर देखो।
हो जाएगी दोस्ती तेरी भी चँद कलियोँ से कभी,
कभी प्यार का पौधा दिल मेँ सजाकर देखो ।
तेरी रुह को शुकून न मिले तो कहना__,
शिद्दत से कभी हमेँ अपने गले लगाकर तो देखो ।
सारी चोटेँ मुहब्बत की सम्हालने मेँ,
मैँ इक रक़ीब के पहलू मरहम छोड़ आया हूँ,
देखता हूँ कब आयेगा मुहब्बत का सावन,
किसी की आँखोँ मेँ चाहत का मौसम छोड़ आया हूँ,
इंतज़ार है तो बस उसके लबोँ के खुलने का,
मैँ उसकी साँसोँ मेँ अपनी सरगम छोड़ आया हूँ,
मुझे तो आदत है बेरुख़ी के साथ जीने की,
उसके नसीब मेँ मैँ सारी महरम छोड़ आया हूँ………..
हाथ सरे राह मेरा तुने ही छोड़ा है ।
हमने कहाँ उम्मीद का दामन छोड़ा है।
मानता हूँ मौत ही माशूक है सच्ची मेरी,
जिँदगी से ईश्क का शौक कहाँ थौड़ा है ।
ना दिल से होता है, ना दिमाग से होता है;
ये प्यार तो इत्तेफ़ाक़ से होता है;
पर प्यार करके प्यार ही मिले;
ये इत्तेफ़ाक़ भी किसी-किसी के साथ होता है।
आईने में भी खुद को झांक कर देखा;
खुद को भी हमने तनहा करके देखा;
पता चल गया हमें कितनी मोहब्बत है आपसे;
जब तेरी याद को दिल से जुदा करके देखा।
जिन्दगी में आप जो करना चाहते है,
वो जरूर कीजिये, ये मत सोचिये कि लोग क्या कहेंगे.
क्योंकि लोग तो तब भी कुछ कहते है,
जब आप कुछ नहीं करते.“
कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है
मुस्कुराने के लिए भी रोना पड़ता है
यूं ही नहीं होता है सवेरा सुबह होने के लिए रात भर सोना पड़ता है!
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