पति की याद में शायरी
उनके दीदार के लिए दिल तड़पता है;
उनके इंतज़ार में दिल तरसता है;
क्या कहें इस कमबख्त दिल को अब;
अपना होकर भी जो किसी और के लिए धड़कता है।
रात होगी तो चाँद दुहाई देगा;
ख्वाबों में आपको वह चेहरा दिखाई देगा;
ये मोहब्बत है ज़रा सोच कर करना;
एक आंसू भी गिरा तो सुनाई देगा।
लफ़्ज़ों में कैसे तारीफ करूँ,
लफ़्ज़ों में आप कैसे समा पाओगे;
जब भी पूछेंगे कभी लोग आपके बारे में,
हमारी आँखों में देख कर वो सब जान जायेंगे
तेरे बिना टूट कर बिखर जायेंगे;
तुम मिल गए तो गुलशन की तरह खिल जायेंगे;
तुम ना मिले तो जीते जी ही मर जायेंगे;
तुम्हें जो पा लिया तो मर कर भी जी जायेंगे।
किसी का क्या जो क़दमों पर जबीं-ए-बंदगी रख दी;
हमारी चीज़ थी हमने जहां जानी वहां रख दी;
जो दिल माँगा तो वो बोले ठहरो याद करने दो;
ज़रा सी चीज़ थी हमने जाने कहाँ रख दी!
Pati Ki Yaad Me Shayari
आँखों के सामने हर पल आपको पाया है;
अपने दिल में सिर्फ आपको ही बसाया है;
आपके बिना हम जियें भी तो कैसे;
भला जान के बिना भी कोई जी पाया है।
जाने कहाँ थे और और चले थे कहाँ से हम;
बेदार हो गए किसी ख्वाब-ए-गिराँ से हम;
ऐ नौ-बहार-ए-नाज़ तेरी निकहतों की खैर;
दामन झटक के निकले तेरे गुलसिताँ से हम।
वो खुद पर गरूर करते है,
तो इसमें हैरत की कोई बात नहीं,
जिन्हें हम चाहते है,
वो आम हो ही नहीं सकते
खुशबू की तरह मेरी हर साँस में;
प्यार अपना बसाने का वादा करो;
रंग जितने तुम्हारी मोहब्बत के हैं;
मेरे दिल में सजाने का वादा करो।
मोहब्बत के लबोँ पर फिर वही तकरार बैठी है;
एक प्यारी सी मीठी सी कोई झनकार बैठी है;
तुझसे दूर रहकर के हमारा हाल है ऐसा;
मैँ तेरे बिन यहाँ तू मेरे बिन वहाँ बेकार बैठी है।
ज़ख्मों को जब तेरे शहर की हवा लगती है;
अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ;
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है।
बिछड़ के तुम से ज़िंदगी सज़ा लगती है;
यह साँस भी जैसे मुझ से ख़फ़ा लगती है;
तड़प उठता हूँ दर्द के मारे,
माना कि तुम्हें मुझसे ज्यादा ग़म होगा;
मगर रोने से ये ग़म कभी कम न होगा;
जीत ही लेंगे दिल की नाकाम बाजियां हम;
अगर मोहब्बत में हमारी दम होगा।
पति की याद में शायरी
रास्ते खुद ही तबाही के निकाले हम ने;
कर दिया दिल किसी पत्थर के हवाले हमने;
हाँ मालूम है क्या चीज़ हैं मोहब्बत यारो;
अपना ही घर जला कर देखें हैं उजाले हमने।
इतनी पीता हूँ कि मदहोश रहता हूँ;
सब कुछ समझता हूँ पर खामोश रहता हूँ;
जो लोग करते हैं मुझे गिराने की कोशिश;
मैं अक्सर उन्ही के साथ रहता हूँ
वो तो अपना दर्द रो-रो कर सुनाते रहे;
हमारी तन्हाइयों से भी आँख चुराते रहे;
हमें ही मिल गया बेवफ़ा का ख़िताब क्योंकि;
हम हर दर्द मुस्कुरा कर छिपाते रहे
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