Mohabbat Shayari Express your feeling with Hindi’s Mohabbat Shayari largest collections मोहब्बत शायरी 2 line, Mohabbat Lines Share & Whatsapp Thankyou
एक बार ही जी भर के सज़ा क्यूँ नहीं देते ?
मैं हर्फ़-ए-ग़लत हूँ तो मिटा क्यूँ नहीं देते ?
मोती हूँ तो दामन में पिरो लो मुझे अपने,
आँसू हूँ तो पलकों से गिरा क्यूँ नहीं देते ?
साया हूँ तो साथ ना रखने कि वज़ह क्या ‘फ़राज़’,
पत्थर हूँ तो रास्ते से हटा क्यूँ नहीं देते ?
“ना दिल की चली ना आँखों की, हम तो दीवाने बस तेरी मुस्कान के हो गए !!”
“मालूम था मालूम है की कुछ भी नहीं हासिल होगा,
लेकिन वो इश्क ही क्या जिसमें ख़ुद को तड़पाया ना जाये !!”
तुम्हारी “याद” का “दरिया” और “तन्हा” दिल की “कश्ती”…!!
दूर “फ़लक़” तक “यादें”, न कोई “ज़मीन” न कोई “बस्ती”…!!
नया दर्द एक और दिल में जगा कर चला गया;
कल फिर वो मेरे शहर में आकर चला गया;
जिसे ढूंढ़ता रहा मैं लोगों की भीड़ में;
मुझसे वो अपने आप को छुपा कर चला गया।
कितना दर्द है दिल में दिखाया नहीं जाता;
गंभीर है किस्सा सुनाया नहीं जाता;
एक बार जी भर के देख लो इस चहेरे को;
क्योंकि बार-बार कफ़न उठाया नहीं जाता।
आज आपके प्यार में कमी देखी;
चाँद की चांदनी में कुछ नमी देखी;
उदास होकर लौट आए हम;
जब महफ़िल आपकी गैरों से सजी देखी।
कोई समझता नहीं उसे इसका गम नहीं करता;
पर तेरे नजरंदाज करने पर हल्का सा मुस्कुरा देता है;
उसकी हंसी में छुपे दर्द को महसूस तो कर;
वो तो हंस के यूँ ही खुद को सजा देता है।
इक बार ही जीने कि सजा क्युँ नही देते,
गर हर पे खता हो तो मिटा क्युँ नही देते।।
अब शिद्दते गम से मेरा दम घुटने लगा है,
तुम रेशमी जुल्फो कि हवा क्युँ नही देते।।
तुम इतने गरमोँ निशाँ गम खार हो मेरे तो,
यारो मुझे मरने कि दुआ क्युँ नही देते।।
साया हुँ तो फिर साथ रखने का सबब क्या,
पत्थर हुँ तो रस्ते से हटा क्युँ नही देते।।
रहजन हो तो फिर शौक से लुटो वफाएँ दिल,
रहबर हो तो मँजिल का पता क्युँ नही देते।।
- बिना गलती की सजा शायरी
- कुछ लोग कभी नहीं बदलते शायरी
- बेहतरीन लव शायरी हिंदी में
- महसूस पर शायरी
- बीते हुए पल शायरी
ख़ुद्दारियों के ख़ून को अरज़ाँ न कर सके हम
अपने जौहरों को नुमायाँ न कर सके
होकर ख़राब-ए-मय तेरे ग़म तो भुला दिये
लेकिन ग़म-ए-हयात का दरमाँ न कर सके
टूटा तलिस्म-ए-अहद-ए-मोहब्बत कुछ इस तरह
फिर आरज़ू की शमा फ़ुरेज़ाँ न कर सके
हर शय क़रीब आ के कशिश अपनी खो गई
वो भी इलाज-ए-शौक़-ए-गुरेज़ाँ न कर सके
किस दरजा दिल-शिकन थे मोहब्बत के हादसे
हम ज़िन्दगी में फिर कोई अरमाँ न कर सके
मायूसियों ने छीन लिये दिल के वल-वले
वो भी निशात-ए-रूह का सामाँ न कर सके
हम रूठे तो किसके भरोसे,
कौन आएगा हमें मनाने के लिए, हो सकता है,
तरस आ भी जाए आपको.. पर दिल कहाँ से लाये..
आप से रूठ जाने के लिए
दोस्ती हर चहरे की मीठी मुस्कान होती है,
दोस्ती ही सुख दुख की पहचान होती है,
रूठ भी गऐ हम तो दिल पर मत लेना,
क्योकि दोस्ती जरा सी नादान होती है…!!!
डूबे हुओं को हमने बिठाया था अपनी कश्ती में यारो…..
और फिर कश्ती का बोझ कहकर हमे ही उतारा गया…!
प्यार को कोई पैसे से नहीं खरीद सकता है
पर इसके लिये बहुत ही भारी कीमत चुकानी पड़ती है !!
किसी को ये सोचकर साथ मत छोड़ना
की उसके पास कुछ नहीं तुम्हे देने के लिए;
बस ये सोचकर साथ निभाने की
उसके पास कुछ नहीं है तुम्हारे सिवा खोने के लिए!
जो दूसरों को इज़्ज़त देता है
असल में वो खुद इज़्ज़तदार होता है…
क्योकि इंसान दूसरो को वही दे पाता है
जो उसके पास होता है..!
Mohabbat Shayari In Hindi
दिल की धड़कन रुक सी गई
सांसें मेरी थम सी गई
पूछा हमने दिल के डॉक्टर से तो पता चला
कि सर्दी के कारण आपकी यादें दिल में जम सी गई।
बेनाम सा यह दर्द
बेनाम सा यह दर्द ठहर क्यों नही जाता;
जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नही जाता;
सब कुछ तो है क्या ढूँढती रहती हैं निगाहें;
क्या बात है मैं वक्त पे घर क्यूं नही जाता;
वो एक ही चेहरा तो नही सारे जहाँ मैं;
जो दूर है वो दिल से उतर क्यों नही जाता;
मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा;
जाते है जिधर सब मैं उधर क्यूं नही जाता;
वो नाम जो बरसों से न चेहरा है न बदन है;
नज़र फ़रेब-ए-कज़ा खा गई तो क्या होगा;
हयात मौत से टकरा गई तो क्या होगा;
नई सहर के बहुत लोग मुंतज़िर हैं मगर;
नई सहर भी कजला गई तो क्या होगा;
न रहनुमाओं की मजलिस में ले चलो मुझको;
मैं बे-अदब हूँ हँसी आ गई तो क्या होगा;
ग़म-ए-हयात से बेशक़ है ख़ुदकुशी आसाँ;
मगर जो मौत भी शर्मा गई तो क्या होगा;
शबाब-ए-लाला-ओ-गुल को पुकारनेवालों;
ख़िज़ाँ-सिरिश्त बहार आ गई तो क्या होगा;
ख़ुशी छीनी है तो ग़म का भी ऐतमाद न कर;
जो रूह ग़म से भी उकता गई तो क्या होगा।
कौन कहता कि…. :
बचपन वापस नहीं आता…….
दो घड़ी माँ के पास तो बैठ कर देखो…,
ज़ख़्म जब मेरे सीने के भर जाएँगे;
आँसू भी मोती बनकर बिखर जाएँगे;
ये मत पूछना किस किस ने धोखा दिया;
वरना कुछ अपनो के चेहरे उतर जाएँगे।
रौशनी दरकार है पर लौ ज़रा मद्धम करो,
चाहिये तुमको ग़ज़ल तो ऑंख मेरी नम करो !!
देखकर पलकें मेरी कहने लगा कोई फक़ीर,
इनपे बरख़ुरदार सपनों का वज़न कुछ कम करो !!
हमारे दर्द में, ग़म में फटकने भी नहीं आये,
वो मितरों कह के हाथों को झटकने भी नहीं आये !
कहॉं तो कह रहे थे मुझको फॉंसी पर चढा देना,
मगर जब वक्त आया तो लटकने भी नहीं आये !
ये किसने कह दिया तुमसे की इनका बम से रिश्ता है,
बहुत है जख्म सीने मे फक़त मरहम से रिश्ता है,,
वो तुम हो जो तिजारत करते हो बारूद की साहब,,,
ये है इमान वाले इनका जमजम से रिश्ता है…
उसे अबकी वफाओं से गुजर जाने की जल्दी थी
मगर इस बार मुझको अपने घर जाने की जल्दी थी
इरादा था कि मैं कुछ देर तूफां का मजा लेता
मगर बेचारे दरिया को उतर जाने की जल्दी थी
लब्जों से नहीं,हम आँखों से,बात करते हैं ,
दिल से नहीं,हम दिल में उतर के, प्यार करते हैं..!
कागज़ पे हमने भी ज़िन्दगी लिख दी,
अश्क से सींच कर उनकी खुशी लिख दी,
दर्द जब हमने उबारा लफ्जों पे,
लोगों ने कहा वाह क्या गजल लिख दी..
अभी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो,
मैं खुद लौट जाऊंगा मुझे नाकाम तो होने दो,
मुझे बदनाम करने का बहाना ढूंढ़ता है जमाना,
मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले मेरा नाम तो होने दो..
रोज़ याद न कर पाऊँ तो खुदग़रज़ ना समझ लेना,
दरअसल छोटी सी जिन्दगी है। और परेशानियां बहुत हैं..!!
मैं भूला नहीं हूँ किसी को…
मेरे बहुत अच्छे दोस्त है ज़माने में ..
बस जिंदगी उलझी पड़ी है ..
दो वक़्त की रोटी कमाने में।. . .
मोहब्बत भरी शायरी Mohabbat Shayari
कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी,
कभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयी,
बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने,
आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी..
…अच्छी है याद तेरी अच्छा है
नाम तेरा …. . ओ दुर के रहने वाले कैसा है
हाल तेरा … …दिल में तेरी याद होठों पे सिर्फ नाम तेरा
.. ..मेरे दिल मै बसने वाले तुझको है सलाम मेरा …
हर एक की सुनो ओर हर एक से सीखो क्योंकि हर कोई,
सब कुछ नही जानता लेकिन हर एक कुछ ना कुछ ज़रुर जानता हैं!
स्वभाव रखना है तो उस दीपक की तरह रखिये,
जो बादशाह के महल में भी उतनी ही रोशनी देता है,
जितनी की किसी गरीब की झोपड़ी में….
“जहाँ प्रयत्नों की उंचाई”
“अधिक होती हैं” “वहाँ नसीबो को भी”
“झुकना पड़ता हैं” “मेरे दोस्त”
परिवर्तन से डरना और संघर्ष से कतराना,
मनुष्य की सबसे बड़ी कायरता है !
जीवन का सबसे बड़ा गुरु वक्त होता है,
क्योंकि जो वक्त सिखाता है
वो कोई नहीं सिखा सकता
मेरी आँखों में पढ़ लेते हैं
लोग तेरे इश्क़ की आयतें…
किसी में इतना बस जाना भी अच्छा नहीं होता ♥…!!
कभी तो खर्च कर दिया करो.. खुद को मुझ पर…
तसल्ली रहें.. मामूली नही है हम….
लडकियाँ हमेशा उसे प्यार करती है
जो उन्हे छोड देते है,
और उन्हे छोड देती है
जो सिर्फ उनसे प्यार करते है।
मोहब्बत का कोई कुसूर नहीं ….
उसे तो मुझसे रूठना ही था……
दिल मेरा शीशे सा साफ़….
और शीशे का अंजाम तो टूटना ही था….
सफर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो,
नजर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो,
हजारों फूल देखे हैं इस गुलशन में मगर,
खुशबू वहीं तक है जहाँ तक तुम हो।
तेरे शहर के कारीगर बङे अजीब हैं ए दिल,,
काँच की मरम्मत करते हैं पत्थर के औजारों से …..
याददाश्त का कमज़ोर होना…
बुरी बात नहीं है जनाब….
बड़े बेचैन रहते है वो लोग…
जिन्हे हर बात याद रहती है….
चुपके से आकर मेरे कान मे,
एक तितली कह गई अपनी ज़ुबान मे…
उड़ना पड़ेगा तुमको भी,
मेरी तरह इस तूफान मे…
महफ़िल में हँसना हमारा मिजाज बन गया,
तन्हाई में रोना एक राज बन गया,
दिल के दर्द को चेहरे से जाहिर न होने दिया,
बस यही जिंदगी जीने का अंदाज बन गया।
इश्क है वही जो हो एक तरफा,
इजहार-ए-इश्क तो ख्वाहिश बन जाती है,
है अगर इश्क तो आँखों में दिखाओ,
जुबां खोलने से ये नुमाइश बन जाती है।
नज़र नवाज़ नज़रों में ज़ी नहीं लगता
फ़िज़ा गई तो बहारों में ज़ी नहीं लगता
ना पूछ मुझसे तेरे ग़म में क्या गुजरती है
यही कहूंगा हज़ारों में ज़ी नहीं लगता !!
भूल जाने का हौसला ना हुआ
दूर रह कर भी वो जुदा ना हुआ
उनसे मिल कर किसी और से क्या मिलते
कोई दूसरा उनके जैसा ना हुआ!
ग़म में हँसने वालों को कभी रुलाया नहीं जाता
लहरों से पानी को हटाया नहीं जाता
होने वाले हो जाते हैं खुद ही दिल से जुदा
किसी को जबर्दस्ती दिल में बसाया नहीं जाता !!
सब फूलों की जुदा कहानी है
खामोशी भी तो प्यार की निशानी है
ना कोई ज़ख्म है फिर भी ऐसा एहसास है
यूँ महसूस होता है कोई आज भी दिल के पास है !!
बिताए हुए कल में आज को ढूँढता हूँ
सपनों में सिर्फ आपको देखता हूँ
क्यों हो गए आप मुझसे दूर यह सोचता हूँ
तन्हा यारों से छुपकर रोता हूँ !!
तेरी याद में आंसुओं का समंदर बना लिया
तन्हाई के शहर में अपना घर बना लिया
सुना है लोग पूजते हैं पत्थर को इसलिए
तुझसे जुदा होने के बाद दिल को पत्थर बना लिया !!
ना दूर हमसे जाया करो दिल तड़प जाता है
आपके ख्यालों में ही हमारा दिन गुज़र जाता है
पूछता है यह दिल एक सवाल आपसे कि
क्या दूर रहकर भी आपको हमारा ख्याल आता है!!
जिंदगी सुंदर है पर मुझे.
जीना नहीं आता, हर चीज में नशा है
पर मुझे. पीना नहीं आता,
सब मेरे बिना जी सकते हैं,
र्सिफ मुझे अपनों के बिना….
जीना नहीं आता….
गुनाह करके सजा से डरते है,
ज़हर पी के दवा से डरते है.
दुश्मनो के सितम का खौफ नहीं हमे,
हम तो दोस्तों के खफा होने से डरते है.
बड़ी मुददत के बाद मिलने वाली थी कैद से आज़ादी;
पर किस्मत तो देखो, जब आज़ादी मिलने वाली थी;
तब तक पिंजरे से प्यार हो चुका था!
शायर तो हम है शायरी बना देंगे
आपको शायरी मे क़ैद कर लेंगे
कभी सूनाओ हमे अपनी आवाज़
आपकी आवाज़ को हम ग़ज़ल बना देंगे
तेरे चेहरे को कभी भुला नहीं सकता,
तेरी यादों को भी दबा नहीं सकता,
आखिर में मेरी जान चली जायेगी,
मगर दिल में किसी और को बसा नहीं सकता.
नज़र नवाज़ नज़रों में ज़ी नहीं लगता
फ़िज़ा गई तो बहारों में ज़ी नहीं लगता
ना पूछ मुझसे तेरे ग़म में क्या गुजरती है
यही कहूंगा हज़ारों में ज़ी नहीं लगता !!
आँखों में मेरी कई लोगो ने पड़ा है ,
पिंजरे के पंछी सा दिल बेबस खड़ा है ,
आज़ाद होकर खुले आसमां में उड़ने को बेकरार है
किसी और का नहीं मुझे सिर्फ तेरा ही इंतेज़ार है ..
“चाँद निकलेगा तो दुआ मांगेंगे;
अपने हिस्से में मुकदर का लिखा मांगेंगे;
हम तलबगार नहीं दुनिया और दौलत के;
हम रब से सिर्फ आपकी वफ़ा मांगेंगे!
न समझो के हमने आपको भुला रखा है
आप नही जानते के दिल में छुपा रखा है
देखते रहे तुम्हें उमर भर इन आंखों में
इसलिए नज़रों के सामने आइना लगा रखा है
दर्द कागज़ पर मेरा बिकता रहा
मैं बैचैन था रातभर लिखता रहा !!
छू रहे थे सब बुलंदियाँ आसमान की
मैं सितारों के बीच, चाँद की तरह छिपता रहा !!
दरख़्त होता तो, कब का टूट गया होता
मैं था नाज़ुक डाली, जो सबके आगे झुकता रहा !!
बदले यहाँ लोगों ने,
रंग अपने-अपने ढंग से रंग मेरा भी निखरा पर,
मैं मेहँदी की तरह पीसता रहा !!
जिनको जल्दी थी, वो बढ़ चले
मंज़िल की ओर मैं समन्दर से राज गहराई के सीखता रहा !
एक मसला-ए-मोहब्बत,
जो कभी सुलझा नही, हमने कभी कहा नही,
उसने कभी समझा नही, ये इश्क में सजा रही,
अब जिंदगी में मज़ा नही, जख्म कभी दिखा नही,
इस दर्द की दवा नही, सजाये बहुत साज़ हमने,
दिल के आशियाने में, कभी गीत कोई सुना नही,
साज़ कोई बजा नही, जो मिला वो ज़मा नही,
जो ज़मा वो मिला नही, यही उसकी रज़ा रही,
ये “मन” कभी समझा नही,
मोहब्बत की जंजीर से डर लगता है
कुछ अपने तकदीर से डर लगता है
जो मुझे तुझसे जुदा करती है
मुझे उस हाथ की लकीर से डर लगता है !!
खुद से जीतने की जिद है, मुझे खुद को ही हराना है,
मै भीड़ नहीं हूँ दुनिया की, मेरे अन्दर एक ज़माना है……….!!
शायरो की महफ़िल में बात चली एक दीवाने की..
दिन रात जलने वाले एक परवाने की..
मैंने सोचा कौन होगा ये सिरफिरा..
*देखा तो ऊँगली मेरी तरफ थी सारे ज़माने की…..
यूँ तो तमन्नाएं दिल में ना थी हमें लेकिन,
ना जाने तुझे देखकर क्यों आशिक़ बन बैठे,
बंदगी तो खुदा की भी करते थे लेकिन,
ना जाने क्यों हम काफ़िर बन बैठे. _____
बेहतर से बेहतर की तलाश करो,
मिल जाए नदी तो समंदर की तलाश करो,
टूट जाते हैं शीशे पत्थरों की चोट से,
टूट जाये पत्थर ऐसे शीशे की तलाश करो. _____
जब टूटने लगे हौंसला तो बस यही याद रखना,
बिना मेहनत के कभी तख्तो-ताज हासिल नहीं होते,
ढूंढ लेना अंधेरों में भी तुम मंज़िल अपनी,
क्योंकि जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते. ____
थक जाते हैं ख्यालात भी ज़हन मे आ आ कर मेरे कहते हैं
मुझसे …. “कमबख्त कितना प्यार है तुझे उससे”
कभी लगा वो मुझे सता रहे है,
कभी लगा के वो करीब आ रहे है,
कुछ लोग होते है आंसुओं की तरह,
पता ही नही लगता साथ दे रहे है या छोड़ कर जा रहे है…
उन्हें ये शिकायत है हमसे कि हम हर किसी को देख कर मुस्कुराते है,
नासमझ है वो क्या जाने हमें तो हर चेहरे मेँ वो ही नजर आते है..
दिल ने फिर तेरे दिल पर दस्तक दी है
तन्हाई ने फिर एक कसक दी है
चाहूँ तेरी बाहों में सिमट जाना
ख़्वाबों ने तेरी फिर कसक दी है ।
तेरे सीने से लग कर तेरी आरज़ू बन जाऊँ,
तेरी सांसों से मिलकर तेरी खुशबू बन जाऊँ,
फासले न रहें कोई हम दोनों के दरम्यान,
मैं, मैं न रहूँ… बस तू ही तू बन जाऊँ।
लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है
मैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूँ
हिन्दी मुस्कुराती है
तभी जा कर कहीं माँ-बाप को कुछ चैन पड़ता है
कि जब ससुराल से घरआ के बेटी मुस्कुराती है
चमन में सुबह का मंज़र बड़ा दिलचस्प होता है
कली जब सो के उठती है
तो तितली मुस्कुराती है
हमें ऐ ज़िन्दगी तुझ पर हमेशा रश्क आता है
मसायल से घिरी रहती है
फिर भी मुस्कुराती है बड़ा गहरा तअल्लुक़ है
सियासत से तबाही का कोई भी शहर जलता है
तो दिल्ली मुस्कुराती है.
चमन से कौन चला ये खामोशियाँ लेकर ?
कली-कली तड़प उठी है
सिसकियाँ लेकर तमाशा देख रहे थे
जो डूब जाने का मेरे मेरी तलाश में निकले है
देखो कश्तिया लेकर !!_____
ये मत कहना कि तेरी याद से
रिश्ता नहीं रखा मैं खुद तन्हा रहा
पर दिल को तन्हा नहीं रखा तुम्हारी चाहतों के फूल
तो महफूज रखे हैं तुम्हारी नफरतों की पीड़ को जिंदा नहीं रखा !!
उजड़ी हुई दुनिया को तू आबाद न कर
बीते हुए लम्हों को तू याद न कर
एक कैद परिंदे ने ये कहा हमसे
मैं भुल चुका हूं उड़ना मुझे आजाद न कर !!
कुछ लोग खोने को प्यार कहते हैं
तो कुछ पाने को प्यार कहते हैं
पर हकीक़त तो ये है.
हम तो बस निभाने को प्यार कहते हैँ…!!
तक़दीर लिखने वाले एक एहसान करदे,
मेरे दोस्त की तक़दीर मैं एक और मुस्कान लिख दे,
न मिले कभी दर्द उनको,
तू चाहे तो उसकी किस्मत मैं मेरी जान लिख दे.
उजालों से रौशन आसमां देख रहा था..!! .
एक दिल अँधेरे में बैठा सारा जहां देख रहा था….!!!!
उनसे मिलने को जो सोचों अब वो ज़माना नहीं,
घर भी कैसे जाऊं अब तो कोई बहाना नहीं,
मुझे याद रखना कहीं तुम भुला न देना,
माना के बरसों से तेरी गली मेंआना-जाना नहीं।
रिश्तों की बगिया में एक रिश्ता नीम के पेड़ जैसा भी रखना;
जो सीख भले ही कड़वी देता हो पर तकलीफ में मरहम भी बनता है।
“जिंदगी है छोटी,” हर पल में खुश हूं
“काम में खुश हूं,” आराम में खुश हू
“आज पनीर नहीं,” दाल में ही खुश हूं
“आज गाड़ी नहीं,” पैदल ही खुश हूं ”
अगर किसी का साथ नहीं,” तो अकेला ही खुश हूं ” . , . .
आज कोई नाराज है,” उसके इस अंदाज से ही खुश हूं
“जिस को देख नहीं सकता,” उसकी आवाज से ही खुश हूं
“जिसको पा नहीं सकता,”.. . उसको सोच कर ही खुश हूं
“बीता हुआ कल जा चुका है,” उसकी मीठी याद में ही खुश हूं
” आने वाले कल का पता नहीं,” इंतजार में ही खुश हूं
“हंसता हुआ बीत रहा है पल,” आज में ही खुश हूं
“जिंदगी है छोटी,” हर पल में खुश हूं
“अगर दिल को छुआ, तो जवाब देना”
“वरना बिना जवाब के भी खुश हूं….
नजरअंदाज करने वाले तेरी कोई ख़ता ही नही
महोब्बत क्या होती है शायद तुझको पता ही नही…
जो फ़ना हो जाऊं तेरी चाहत में तो ग़ुरूर ना करना,
ये असर नहीं तेरे इश्क़ का, मेरी दीवानगी का हुनर है !!
शायद लोगों की नजरो मे हमारी कोई कीमत ना हो..,,,,
लेकिन कोई तो होगा जो, हमारा हाथ पकड़ कर खुद पर नाज़ करेगा,,,,
हमारे कुछ गुनाहों की सज़ा भी साथ चलती है….
हम अब तन्हा नहीं चलते दवा भी साथ चलती है….
अभी ज़िन्दा है #माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा ….
मैं जब घर से निकलता हूँ #दुआ भी साथ चलती है।….
तू इन बूढ़े दरख़्तों की हवाएँ साथ रख लेना
सफ़र में काम आयेंगी दुआएँ साथ रख लेना
हँसी बच्चों की, माँ का प्यार और मुस्कान बीवी की
तू घर से जब चले तो ये दवाएँ साथ रख लेना
सफ़र कितना भी मुश्किल हो वो फिर मुश्किल नहीं होगा
तू थोड़े हौसले बस दायें-बायें साथ रख लेना
बिछुड़ता देखकर तुझको जो घिरकर भी नहीं
बरसीं तू उन कजरारी आँखों की घटाएँ
साथ रख लेना कहीं भी तू रहे तेरे हमेशा काम आयेंगी तू
थोड़ी नेकियाँ, थोड़ी वफ़ाएँ साथ रख लेना
खताएँ दूसरों की जब कभी तू ढूढ़ने निकले
तू सबसे पेशकर अपनी खताएँ साथ रख लेना
मैं जब घर से चला, काँटो घिरे कुछ फूल
यूँ बोले ग़मों में मुस्कराने की अदाएँ साथ रख लेना……
जवानी, हुस्न, मयख़ाने, लबौ रूख़सार बिकते हैं…
हया के आईने भी अब ,सरे बाज़ार बिकते हैं…
शराफत ज़र्फ, हमदर्दी ,दिलों से हो गयी रुख़सत….
जहां दौलत चमकती है ,वहीं किरदार बिकते हैं…
वहां हथियार बिकने का, अजब दस्तूर निकला है….
हमारे गांव में अब तक, गुलों के हार बिकते हैं…
हमारे रहनुमाओं को ,हुआ क्या है ख़ुदा जाने…
कभी इस पार बिकते हैं, कभी उस पार बिकते हैं…
ज़रा खुद सोचिए हम पर, तबाही क्यूं ना आएगी…
ये दौर ऐसा है जिसमें ,कौम के किरदार बिकते हैं…
मुझे तेरे प्यार में ऐसी ज़बरदस्ती चाहिए_
जो मैं छोडूँ हाथ तेरा तो तू बाँहो को थाम ले___
जवानी, हुस्न, मयख़ाने, लबौ रूख़सार बिकते हैं…
हया के आईने भी अब ,सरे बाज़ार बिकते हैं…
शराफत ज़र्फ, हमदर्दी ,दिलों से हो गयी रुख़सत….
जहां दौलत चमकती है ,वहीं किरदार बिकते हैं…
वहां हथियार बिकने का, अजब दस्तूर निकला है….
हमारे गांव में अब तक, गुलों के हार बिकते हैं…
हमारे रहनुमाओं को ,हुआ क्या है ख़ुदा जाने…
कभी इस पार बिकते हैं, कभी उस पार बिकते हैं…
ज़रा खुद सोचिए हम पर, तबाही क्यूं ना आएगी…
ये दौर ऐसा है जिसमें ,कौम के किरदार बिकते हैं….
जिंदगी में एक बात हमेशा होती है …
लोग धोखा वहीँ से खाते हैं..
जहां गुंजाईश नहीं होती है !!
तू किस अधिकार से चरखे से फोटो जोड़ आया था?
वो बैरिस्टर बड़े घर का सभी कुछ छोड़ आया था।
कभी कुर्ता तेरा मैला, और अब है,
सूट लाखों का, वो धोती बांध कर;
रूह-ए-वतन झनझोड़ आया था।
गरीबों के लहू से हाथ रंगे हैं तेरे,
अब तक, अहिंसक रहके वो
फौज-ए-फिरंगी मोड़ आया था।
तेरी सियासत की रोटी सिकती है
दंगे भड़कने पर,
वो दंगे रोकने को रोटी-पानी छोड़ आया था।
तेरी बातों से सदियों के बने रिश्ते बिखरते हैं,
वो गंगा और जमुना के किनारे जोड़ आया था।
अकड़ की इन्तेहां देखो के नपवाता है
छाती तक, वो दुर्बल-सा,
गुरूर-ए-तख्त-ए-शाही तोड़ आया था।
“ठोकरें ख़ाता हूँ पर,
“शान” से चलता हूँ।
मैं खुले आसमान के नीचे,
सीना तान के चलता हूँ।
मुश्किलें तो “साज़” हैं ज़िंदगी का,
“आने दो-आने दो”। उठूंगा,
गिरूंगा फिर उठूंगा और आखिर में
“जीतूंगा मैं ही” ये ठान के चलता हूँ!”
“जो दोस्त आगे बढ़कर होटल के बिल का पेमेंट करतें हैं,
वो इसलिए नहीं कि, उनके पास खूब पैसा है;
बल्कि इसलिए कि……
उन्हें पैसों से अधिक अपने दोस्त पसंद हैं…!
“जो लोग हर काम में आगे रहतें हैं,
वो इसलिए नहीं कि, वे बेवकूफ होते हैं;
बल्कि इसलिए कि उन्हें……
अपनी जिम्मेदारी का अहसास होता है…!!
“जो लोग लड़ाई हो चुकने बाद भी माफी माँग लेते हैं,
वो इसलिए नहीं कि, वो गलत थे;
बल्कि इसलिए कि….
वो रिश्तों की परवाह करते है…!!
“जो लोग आपकी मदद करने के लिए आगे आते हैं,
वो इसलिए नहीं कि, आपका उन पर कोई कर्ज बाकी है;
बल्कि इसलिए कि वे…
आपको अपना मानते हैं।
“जो लोग आपको रोज “मेसेज ”
अथवा _”पोस्ट” भेजते हैं, वो इसलिए नहीं कि,
वे फुरसतिया होतें हैं;
बल्कि इसलिए कि..
उनमें हमेशा आपके नज़दीक बनें रहने की _
*मोहब्बत होती है…!! * “
आ कर ख़्यालों में मेरे बाकी जहाँ बेख्याल कर जाते
हो हमें भी सिखा दो हुनर, कैसे यह कमाल कर जाते हो “!!
बातें ऐसे करो की जज्बात कभी कम न हों
ख्यालात ऐसे रखो कि कभी गम न हो
दिल में अपने इतनी जगह दे देना हमें
कि खाली-खाली सा लगे जब हम न हों !!