कोई नहीं समझता शायरी गम की नजर से देखिए, दिल के असर से देखिए है अश्क भी एक लाल रंग, खूने-जिगर से देखिए तैराक भी कितने यहाँ प्यासे ही मर गए संसार की नदी में भी जरा निकल के देखिए खुशबू से भींग जाएगी, कोई नहीं समझता शायरी
कोई नहीं समझता शायरी
1.ये कौन आ गई दिलरुबा महकी महकी
फ़िज़ा महकी महकी हवा महकी महकी
वो आँखों में काजल वो बालों में गजरा
हथेली पे उसके हिना महकी महकी
ख़ुदा जाने किस-किस की ये जान लेगी
वो क़ातिल अदा वो सबा महकी महकी
2.एक हम है,
जो ” इश्क़ ” की बारीश
करते है, बेवज़ह
और एक वो है,
जो हमारी ” मोहब्बत ” में भीगने को तैयार ही नही, !!
3.एक बचपन का जमाना था,
जिस में खुशियों का खजाना था..
चाहत चाँद को पाने की थी,
पर दिल तितली का दिवाना था..
खबर ना थी कुछ सुबहा की,
ना शाम का ठिकाना था..
थक कर आना स्कूल से,
पर खेलने भी जाना था…
माँ की कहानी थी,
परीयों का फसाना था..
बारीश में कागज की नाव थी,
हर मौसम सुहाना था..
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