महसूस पर शायरी
इश्क ‘महसूस’ करना भी …इबादत से कम नहीं,
ज़रा बताइये…. ‘छू कर’ खुदा को किसने देखा है….
महसूस पर शायरी | Mehsoos Shayari
महसूस हो रही है हवा में उसकी खुशबू
लगता है मेरी याद में वो सांसे ले रहा है
सारी दुनिया की मुहब्बत से किनारा कर के
हमने रखा है फकत खुद को तुम्हारा कर के
उसके सिवा किसी और को चाहना मेरे बस में नहीं,
ये दिल उसका है, अपना होता तो बात और थी
उड़ान वालो उड़ानों पे वक़्त भारी है
परों की अब के नहीं हौसलों की बारी है
मैं क़तरा हो के तूफानों से जंग लड़ता हूँ
मुझे बचाना समंदर की ज़िम्मेदारी है
कोई बताये ये उसके ग़ुरूर-ए-बेजा को
वो जंग हमने लड़ी ही नहीं जो हारी है
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत
ये एक चराग़ कई आँधियों पे भारी है
मैं चाहता भी यही था वो बेवफ़ा निकले
उसे समझने का कोई तो सिलसिला निकले
किताब-ए-माज़ी* के पन्ने उलट के देख ज़रा
न जाने कौन-सा पन्ना मुड़ा हुआ निकले
जो देखने में बहुत ही क़रीब लगता है
उसी के बारे में सोचो तो फ़ासला निकले
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