बेहतरीन लव शायरी हिंदी में Friend Dost Share On Facebook Whatsapp लव शायरी हिंदी में 2020 गजब लव शायरी, सुपर हिट लव शायरी, बेहतरीन लव शायरी फोटो Shayari For Hindi
“हर कदम पे आपका एहसास चाहिए;
मुझे आपका साथ अपने पास चाहिए;
खुदा भी रो पड़े हमारी जुदाई से;
ऐसा एक रिश्ता ख़ास चाहिए।”
“अगर कोई आपको गहराई से प्यार करे
तो उससे आपको शक्ति मिलती है
और अगर किसी को आप गहराई से
प्यार करें तो उससे आपको साहस मिलता है
“मोहब्बत का इम्तिहान आसान नहीं;
प्यार सिर्फ पाने का नाम नहीं;
मुद्दतें बीत जाती है किसी के इंतज़ार में;
यह सिर्फ पल दो पल का काम नहीं।”
“प्यारी सी लाइन मेरे प्यारे दोस्तों के लिए :
मेरे साथ लड़ना , मुझे रुलाना , तंग करना , चोट पहचाना ,
पर मेरी ज़िन्दगी खत्म हो जाये तब मुझे अपना कंधा जरूर देना ..
Best बेहतरीन लव शायरी हिंदी में 2020
” ज़िन्दगी एक चाहत का सिलसिला है,
कोई किसी से मिल जाता है तो,
कोई किसी से बिछड़ जाता है,
जिसे हम मांगते है अपनी दुआ में,
वो किसी को बिना मांगे मिल जाता है… “
“कभी दोस्ती कहेंगे कभी बेरुख़ी कहेंगे;
जो मिलेगा कोई तुझसा उसे ज़िन्दगी कहेंगे;
तेरा देखना है जादू तेरी गुफ़्तगू है खुशबू;
जो तेरी तरह चमके उसे रोशनी कहेंगे। “
“मेरी जिंदगी में अगर तू साथ हो,
फिर चाहे दिन रहे या रात हो,
में कांटो पर भी चल सकती हु,
अगर तेरे प्यार कि बरसात हो… “
मोहब्बत का शौक यहां किसे था.
तुम पास आती गई और मोहब्बत होती गई….!!
क्या करोगे ये जानकर कि कितना प्यार करते हैं
तुमसे.. . बस इतना जान लो,
कि वो नम्बर तुम्हारा ही था
जो मुझसे पहली बार याद हो पाया था…..
New बेहतरीन लव शायरी हिंदी में
बड़े अनमोल हे ये खून के रिश्ते,
इनको तू बेकार न कर ,
मेरा हिस्सा भी तू ले ले मेरे भाई,
घर के आँगन में दीवार ना कर !!
मैं नज़र से पी रहा हूँ
ये समा बदल ना जाऐ ना झुकाओ
तुम निगाहैं कहीं रात ढल ना जाऐ अभी रात कुछ है
बाक़ी ना उठा नक़ाब साक़ी
तेरा रिंद गिरते गिरते कहीं फिर संभल ना जाऐ
मुझे फूंकने से पहले मेरा दिल निकाल लेना
ये किसी की है अमानत कहीं साथ जल ना जाऐ
ज़िन्दगी भर ज़िन्दगी की जुस्तजू बाकी रही।
तेरी खातिर आंसुओं से गुफ्तगू बाकी रही।
होश कब किस के लिए माँगी दुआयें उम्र भर।
फूल की खुशबू की जानिब सिर्फ तू बाकी रही।
आईना हाथों में रहकर सारी दुनिया देख ली।
फिर भी तुमको देखने की आरजू बाकी रही।
चाहतों के मेघ हरदम रूह पर बरसा किये।
तिश्नगी की धूप लेकिन चार सूँ बाकी रही।
आसमाँ ‘ स्वाती ‘ के क़दमों के तले आये कई।
हर घड़ी फिर भी तलाशों-रगों-बू बाकी रही।
हज़ारों नोट थे ऐसे के हर नोट पे दम निकले,
बहुत निकले मेरे घर से मगर फिर भी कम निकले.
निकलना बैंक से नोटों का सुनते आये हैं लेकिन,
बहुत बे-आबरू होकर स्टेट बैंक से हम निकले.
बचा नहीं जेब में सौ का नोट एक भी अब,
हुई सुबह और घर से एटीएम खोजते हुए हम निकले.
खुदा के वास्ते एटीएम में कुछ तो डाल दे ज़ालिम,
कहीं ऐसा न हो यहां भी खाली जेब सनम निकले.
कहाँ हमारी दौलत “ग़ालिब”
और कहाँ वो भिखारी, गौर फर्माईऐ…
कहाँ हमारी दौलत “ग़ालिब” और कहाँ वो भिखारी…
बस ये जानिये, जिस कतार में वो खडा था ऊसी में हम निकले.
कटता नहीं है दिन मेरा इस दो ह़ज़ार में
कब तक मिलेगी पान-ओ- बीड़ी उधार में
कह दो इन शादियों से अभी और कुछ टलें कितना हम
बांटे न्योता अब दो हज़ार में बैंक से हम
आज जुगाड़ के लाये थे चार नोट दो बीवी ने झटक लिए,
दो गए उधार में दिन आज का भी ख़त्म हुआ शाम हो गई
सोऊंगा आज रात भी मैं बैंक की कतार में कितना है
बदनसीब “अज्जत” नोट के लिये पीटा है ATM गार्ड ने,
कू-ए-यार मे हरिवंशराय बच्चन जी की एक खूबसूरत कविता,,
“रब” ने. नवाजा हमें. जिंदगी.
देकर; और. हम. “शौहरत” मांगते रह गये;
जिंदगी गुजार दी शौहरत. के पीछे;
फिर जीने की “मौहलत” मांगते रह गये।
ये कफन , ये. जनाज़े, ये “कब्र” सिर्फ. बातें हैं.
मेरे दोस्त,,, वरना मर तो इंसान तभी जाता है
जब याद करने वाला कोई ना. हो…!!
ये समंदर भी. तेरी तरह. खुदगर्ज़ निकला,
ज़िंदा. थे. तो. तैरने. न. दिया.
और मर. गए तो डूबने. न. दिया . .
क्या. बात करे इस दुनिया. की “हर. शख्स.
के अपने. अफसाने. हे” जो सामने. हे. उसे लोग.
बुरा कहते. हे, _जिसको. देखा.
नहीं उसे सब “खुदा”. कहते. है..
खुदा से कोई बात अंजान नहीं होती;
इंसान की बंदगी बेईमान नहीं होती;
कहीं तो माँगा होगा हमने भी एक प्यारा सा दोस्त;
वर्ना यूंही हमारी आपसे पहचान न होती।
चांदनी, जंगल, मरुस्थल, भीड़, चौराहे,
नदी हर कहीं हिरनी बनी भटकी हुई है
जिंदगी टूटने का दर्द तुमको ही नहीं है
आइनों जिस्म के इस फ्रेम में चटकी हुई है
जिंदगी चुप्पियों के इस शहर में
ऊंघती निस्तब्धता छटपटाहट एक आहट की,
हुई है जिंदगी चांदनी, जंगल, मरुस्थल, भीड़,
चौराहे, नदी हर कहीं हिरनी बनी भटकी हुई है
जिंदगी टूटने का दर्द तुमको ही नहीं है
आइनों जिस्म के इस फ्रेम में चटकी हुई है
जिंदगी चुप्पियों के इस शहर में
ऊंघती निस्तब्धता छटपटाहट एक आहट की, हुई है जिंदगी
मुसलसल हादसे, टूटन, घुटन,
खामोश पछतावे मैं अपनी पुरखुलुसी
की बड़ी कीमत चुकाता हूँ निहायत सादगी,
बेहद शराफत, गहरी हमदर्दी ये डसते हैं
मुझे अक्सर, मैं अक्सर तिलमिलाता हूँ
Read More: shayari for hindi language