दर्द में मुस्कराने शायरी तमन्ना हो मिलने की तो, बंद आँखों मे भी नज़र आएँगे, महसूस करने की कोशिश तो कीजिए, दूर होते हुए भी पास नज़र आएँगे !!आये हो तो कुछ देर तो ठहर जाओ इन आँखों में, तुम्हे क्या पता एक उम्र लग जाती है एक ख्वाब सजाने में।।
दर्द में मुस्कराने शायरी
1.अमीरों के चेहरे पे कभी, मुस्कान नहीं होती …
गरीब के चेहरे पे कभी, थकान नहीं होती …
2.सब कुछ खरीद सकती है, दौलत इस दुनिया में …
पर शुक्र है मुस्कुराहट, किसी की गुलाम नहीं होती …
3.बनाते फिरते हैं रिश्ते जमाने भर से अक्सर।
मगर जब घर में हो जरूरत तो रिश्ते भूल जाते हैं।।
4.अपने वो नही होते जो तस्वीर में साथ खड़े होते हैं,
अपने वो हैं जो तकलीफ में साथ खड़े होते हैं.
5.ये खतरे की बात नहीं है लेकिन फिर भी आगाह करता हूँ
कहीं तेरे बदन की कोई जुंबिश किसी पे नशा चढ़ा न दे
इतना हुस्न तुम्हें मिला है बोलो उसे लेकर तुम क्या करोगी
कभी कभी महफिल आ जावों सहर की दिल तुमको दुवा दे
6.वफ़ा की ज़ंज़ीर से डर लगता है….
कुछ अपनी तक़दीर से डर लगता है….
जो मुझे तुझसे जुदा करती है….
हाथ की उस लकीर से डर लगता है…..
7.ज़रा सी चोट को महसूस करके टूट जाते हैं !
सलामत आईने रहते हैं, चेहरे टूट जाते हैं !!
पनपते हैं यहाँ रिश्ते हिजाबों एहतियातों में,
बहुत बेबाक होते हैं वो रिश्ते टूट जाते हैं !!
8.नसीहत अब बुजुर्गों को यही देना मुनासिब है,
जियादा हों जो उम्मीदें तो बच्चे टूट जाते हैं !!
दिखाते ही नहीं जो मुद्दतों तिशनालबी अपनी, ,
सुबू के सामने आके वो प्यासे टूट जाते हैं !!
Dard Me Muskurana Shayari
1.समंदर से मोहब्बत का यही एहसास सीखा है,
लहर आवाज़ देती है किनारे टूट जाते हैं !!
यही एक आखिरी सच है जो हर रिश्ते पे चस्पा है,
ज़रुरत के समय अक्सर भरोसे टूट जाते हैं
2.चाहा है तुम्हें अपने अरमान से भी ज्यादा,
लगती हो हसीन तुम मुस्कान से भी ज्यादा,
मेरी हर धड़कन हर साँस है तुम्हारे लिए,
क्या माँगोगे जान मेरी जान से भी ज्यादा।
3.ख़त्म कर दी थी जिंदगी की सारी खुशियाँ तुम पर,
कभी फुरसत मिले तो सोचना की मोहब्बत किसने की थी !!
4.जाती है धुप उजले परो को समेट के ,
जख्म को अब गिनूगा मे बिस्तर पे लेट के !!
लोग समझते है हम बस तुम्हारे हुस्न पर मरते है।
अगर तुम भी यही समझते हो तो सुनो जब हुस्न ढल जाये तो लौट आना।।
5.उनकी ‘परवाह’ मत करो, जिनका ‘विश्वास’ “वक्त” के साथ बदल जाये.. ‘
परवाह’ सदा ‘उनकी’ करो; जिनका ‘विश्वास’ आप पर “तब भी” रहे’ जब आप का “वक्त बदल” जाये.